जीवन लेने का अधिकार हमें नहीं

प्रिय अलाय बहनों और भाइयों
नमस्कार

हर इंसान की अपनी सोच है अपने विचार हैं पर मेरा मानना हैं कि जिस पर हमारा मालिकाना अधिकार नहीं हैं उसको हमें छीनने का कोई अधिकार नहीं हैं क्योंकि जीवन पर हमारा अधिकार है ही नहीं ये या तो ऊपर वाले या जीवंत भगवान माता -पिता की हैं
मानता हूँ ज़िंदगी में कभी-कभी ऐसे मोड़ आते हैं सारे रिश्ते बेगाने से लगते हैं  ऐसा महसूस होता हैं कि हर कोई शक की नज़र से देख रहा हैं अपनों का तो क्या कहना  बदन का कपड़ा भी बैरी हो जाता है
हमें कुछ नहीं दिखता हम अपनी समस्या में इतना उलझ कर रह जाता हैं कि जीवन में अंधेरा ही अंधेरा दीखता है तब भी एक ही बात सोचनी चाहिए जिस को हम बना नहीं सकते उसको ख़त्म करने का हमको अधिकार नहीं हैं

 वैसे ये प्रवृत्ति दो कारणों से आती है एक भगोड़े और असफलता का सामना नहीं करने की हिम्मत.
और दूसरी अहम सफलता के शिखर से गिर कर असफलता का सामना करने का डर .
इस लिए मेरा मानना है कि हमें बच्चों कों जीवन में सफल होने से ज़्यादा असफलता का सामना करने की ताक़त सिखानी चाहिए क्योंकि कब वैश्विक संकट आएगा, कब कोई असाध्य बीमारी से ग्रसित होंगे कब कौन सा अवसाद घेरेगा  कब जीवन तनावपूर्ण होगा किसी को नहीं मालूम ।

सफलता हमें ख़ुशी तो देती हैं पर वो एक कमज़ोर शिक्षक हैं वही असफलता हमें निराश तो करती है पर एक अच्छी शिक्षक हैं क्योंकि असफलता का सामना करके सफल होने पर जो ख़ुशी और शांति मिलती है उसका वर्णन करना मुश्किल है.

-Ally DG Ravi Shankar Agarwal

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